Title:-
रुद्राष्टकं Rudrashtakam Lyrics in Hindi Sonu Nigam
Introduction of Rudrashtakam:-
This song presented by sonu nigam this song sung by Sonu Nigam and it's a song of lyricists Traditional/ sant Goswami Tulsidas
Rudrashtakam song and lyrics credit:-
Song :- रुद्राष्टकं Rudrashtakam
Singer:- SONU NIGAM
Lyrics:- Traditional/ sant Goswami Tulsidas
Video Song Of Rudrashtakam :-
lyrics of Rudrashtakam :-
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोहम्
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम्
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शकरं सर्वनाथं भजामि
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये
ये पठ्न्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भु: प्रसीदति
इति श्रीगोस्वामीतुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोहम्
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम्
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शकरं सर्वनाथं भजामि
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये
ये पठ्न्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भु: प्रसीदति
इति श्रीगोस्वामीतुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम
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